लेबर पार्टी का गठन ब्रिटेन में कमजोर और काम करने वाले लोगों की आवाज संसद में उठाने के लिए किया गया था. लेबर पार्टी ने सत्ता में आने के बाद भारत को आजादी देने का वादा किया था.
रेहला का अर्थ होता है- यात्रा। रेहला में सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक और सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल की घटनाओं, प्रशासन, अर्थव्यवस्था, अदालत, शहर के जीवन, सामाजिक मेलों और त्यौहारों, बाजारों, भोजन और भारतीय कपड़ों, जलवायु आदि का वर्णन किया गया है। इब्न बतूता भारत की डाक व्यवस्था की कार्यकुशलता देखकर बहुत चकित हुआ था। इस प्रकार इब्नबतूता का यात्रा-विवरण चौदहवीं शताब्दी के भारतीय उपमहाद्वीप के सामाजिक तथा सांस्कृतिक जीवन के विविध पक्षों की जानकारी का एक महत्त्वपूर्ण और प्रामाणिक स्रोत है।
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द्वितीय विश्वयुद्ध : कारण, प्रारंभ, विस्तार और परिणाम
अलाउद्दीन खिलजी के बाजार नियंत्रण व्यवस्था का सबसे प्रामाणिक विवरण बरनी की तारीख-ए-फिरोजशाही में ही मिलता है। अलाउद्दीन खिलजी की बाजार व्यवस्था के संबंध में बरनी ने लिखा है कि हिंदू और काफिर वस्तुओं की चोरी करते थे। प्रसंगतः, इब्नबतूता की रचना ‘रेहला’ तथा अमीर खुसरो के ‘खजाइनुल फुतुह’ से भी अलाउद्दीन के बाजार नियंत्रण के विषय में जानकारी मिलती है। click here मुहम्मद बिन तुगलक की मुद्रा-व्यवस्था का वर्णन करते हुए बरनी ने लिखा है कि, ‘प्रत्येक हिंदू का घर टकसाल बन गया था।’
में लाहौरी की मृत्यु हो गई, किंतु अपनी मृत्यु से पूर्व उसने पादशाहनामा के लेखन की जिम्मेदारी अपने शिष्य मुहम्मद वारिस को सौंप दिया था।
इसके अंतर्गत जैसे कि हम पाषाण काल, कांस्य काल, मिस्र की सभ्यता, सिंधु घाटी की सभ्यता, चीन की सभ्यता, वैदिक काल, लौह युग, बौद्ध युग, रोमन साम्राज्य, ईसाई धर्म, इस्लाम, मंगोल, काली मौत, तुर्क साम्राज्य, पुनर्जागरण काल, द्वीपों की खोज, क्रांतियाँ, विश्व युद्ध, संघ, शीत युद्ध, संधियाँ, संगठन, इत्यादि के बारे मे जानकारी प्राप्त करते हैं
इस प्रकार मध्यकालीन भारतीय इतिहास की जानकरी के लिए र्प्याप्त मात्रा में साहित्यिक और पुरातात्त्विक सामग्री उपलब्ध है, जो इतिहास-लेखन की दृष्टि से उपयोगी हैं।
इस ग्रंथ से शेरशाह के शासनकाल का विस्तृत इतिहास पता चलता है। इस ग्रंथ से शेरशाह के शासन- सुधारों, फरीद के जागीर-प्रबंध की बाबर से मुलाकात, हुमायूं से संघर्ष एवं हुमायूं की असफलता के कारणों का वर्णन है। अब्बास खां ने शेरशाह की राजस्व-प्रणाली, सैन्य-संगठन तथा न्याय-प्रबंध पर अच्छा प्रकाश डाला है तथा उसे जन हितैषी शासक बताया है।
पेल्सार्ट ने समाज के निचले तबके की स्थितियों का भी विवरण दिया है। उसके अनुसार कर्मकार (दस्तकार), नौकरों और दुकानदारों की स्थिति स्वैच्छिक दासता की स्थिति से बहुत अलग नहीं थी, जिन्हें अकसर कुलीन वर्ग की सनक और मनमाने व्यवहार का शिकार होना पड़ता था। इस प्रकार पेल्सार्ट के विवरण मध्यकालीन भारत की व्यापारिक गतिविधियों, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों की जानकारी के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।
अमीर खसरो ने उपर्युक्त ग्रंथों के अलावा कई और ग्रंथों की भी रचना की है जो इस प्रकार हैं-
मातृभाषा शिक्षण के उद्देश्य
इन साहित्यों में तत्कालीन इतिहास की सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, धार्मिक नीति की विषद् जानकारी मिलती है। इन साहित्यिक स्रोतों को दो भागों में विभाजित किया गया है- सल्तनतकालीन साहित्य एवं मुगलकालीन साहित्य।
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